रमेश और कुम्हार का चाक | Motivational Story In Hindi For Success

Lekhadda
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रमेश और कुम्हार का चाक


(रमेश और कुम्हार का चाक | Motivational Story In Hindi For Success) हमारे जीवन में कई बार हमें असफलताओं का सामना करना पड़ता है, और ऐसे समय में हम निराश और हताश हो जाते हैं हमें लगता है की शायद सफलता हमारे लिए बनी ही नहीं है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि असफलताएँ हमें मजबूत बनाने और हमें सफलता के करीब लाने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं? आज हम आपके लिए एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं, जो हमें सिखाती है कि धैर्य और लहन से हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। यह कहानी है रमेश और कुम्हार के चाक की। आइए, इस रमेश और (कुम्हार का चाक | Motivational Story In Hindi For Success) कहानी के माध्यम से जानते हैं कि कैसे रमेश ने अपनी असफलताओं से सबसे बड़ा सबक सीखा और सफलता की राह पर चल पड़ा।

                    एक छोटे से गाँव में, रमेश नाम का एक आदमी रहता था। रमेश बहुत दयालु और मेहनती था।  अपनी लाख कोशिशों के बाद भी उसने अपने जीवन में कई बार असफलता का सामना किया था। उसने बहुत प्रयास किया पर, सफलता हमेशा उससे दूर ही रही।

                रमेश ने कई चीजों में हाथ आजमाया था। उसने एक छोटी दुकान चलाने की कोशिश की, लेकिन ग्राहकों की कमी के कारण उसे बंद करना पड़ा। उसने खेती करने की कोशिश की, लेकिन खराब मौसम ने उसकी फसलें बर्बाद कर दीं। उसने बढ़ई गिरी सीखने की भी कोशिश की, लेकिन उसके हाथ फर्नीचर बनाने में कुशल नहीं थे। 

"हर असफलता ने उसे पहले से और अधिक निराश कर दिया।"

                   एक दिन, जब रमेश गाँव के बाजार में चल रहा था, उसने एक बूढ़े कुम्हार हरि को देखा। हरि अपने सुंदर बर्तनों के लिए जाना जाता था, जिन्हें खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। अपनी वृद्धावस्था के बावजूद, हरि के हाथ स्थिर थे और उसकी कृतियाँ बेजोड़ थीं।


"रमेश और कुम्हार का चाक” Motivational Story



                 जिज्ञासा  से भरा हुआ, रमेश हरि के पास गया और पूछा, "चाचा, आप इतने सुंदर बर्तन कैसे बनाते हैं? मैंने कई चीजें करने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रहा। आपका राज क्या है?"

                हरि ने धीरे से मुस्कुराते हुए रमेश को अपनी कार्यशाला में बुलाया। कमरे के अंदर, हवा में मिट्टी की महक भरी हुई थी, और अलमारियों में विभिन्न आकार के बर्तन रखे हुए थे। हरि ने एक पुराना कुम्हार का चाक दिखाते हुए कहा, "रमेश, राज इस चाक में और धैर्य के साथ बार-बार कोशिश करने में है।"

                    रमेश ने चाक को देखा और फिर हरि की ओर देखा। "लेकिन चाक मुझे सफलता कैसे सिखा सकता है?" उसने पूछा।

                   हरि ने हल्के से हँसते हुए कहा, "आओ, मैं तुम्हें दिखाता हूँ।" उसने एक मिट्टी का टुकड़ा लिया और उसे चाक पर रखा। जैसे ही चाक घूमने लगा, हरि के हाथों ने मिट्टी को एक सुंदर बर्तन का आकार दिया। "तुम देख रहे हो, रमेश, शुरुआत में मिट्टी बस एक आकारहीन टुकड़ा होती है। लेकिन धैर्य और कौशल से, इसे सुंदर आकृति में बदला  जा सकता है।"

                   रमेश ने आश्चर्य से देखा और पूछा । "लेकिन अगर मिट्टी सही आकार में न बने तो?" 

                हरि ने सिर हिलाते हुए जवाब दिया, "ऐसा अक्सर होता है। लेकिन जब बर्तन गिर जाता है या टूट जाता है, तो मैं हार नहीं मानता। मैं बस मिट्टी को फिर से गूंथता हूँ और उसे चाक पर वापस रखता हूँ, और फिर से कोशिश करता हूँ।" 

"इससे हर बार, मैं कुछ नया सीखता हूँ "

हरि ने फिर चाक रमेश को दे दिया और कहा, "क्यों न तुम भी कोशिश करो?"

                 घबराते हुए, रमेश ने एक मिट्टी का टुकड़ा लिया और उसे चाक पर रखा। जैसे ही उसने उसे आकार देना शुरू किया, मिट्टी लड़खड़ाई और गिर गई। निराशा  महसूस करते हुए, रमेश हार मानने ही वाला था, कि हरि ने उसे प्रोत्साहित किया।

 "फिर से कोशिश करो, रमेश। याद रखो, मेहनत और लगन ।"

               गहरी साँस लेते हुए, रमेश ने फिर से कोशिश की। इस बार, मिट्टी थोड़ी कम लड़खड़ाई। हर प्रयास के साथ, उसका आत्मविश्वास और स्थिरता बढ़ी। घंटे बीत गए, और आखिरकार, रमेश ने एक साधारण, लेकिन मजबूत बर्तन बना लिया। उसका चेहरा खुशी से खिल उठा।

रमेश और कुम्हार का चाक | Motivational Story In Hindi For Success


                 हरि ने रमेश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "सफलता का मतलब कभी असफल न होना नहीं है। बल्कि इसका मतलब है कि हर असफलता से सीखना और फिर से कोशिश करना। इस मिट्टी की तरह तुम्हारी ज़िन्दगी भी धैर्य और लगन के साथ सुंदर बन सकती है।"

                     उस दिन के बाद, रमेश का जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल गया। अब  वह असफलता को अंत नहीं, बल्कि सीखने और आगे बढ़ने के नए अवसर के रूप में देखता है । उसने कुम्हारी का अभ्यास जारी रखा, और अपने हर प्रयास के साथ, वह बेहतर और बेहतर होता गया। उसकी इस मेहनत और लगन  का फल मिला, और जल्द ही, रमेश "हरि की तरह" अपने सुंदर बर्तनों के लिए जाना जाने लगा ।

             उन लोगों को प्रेरित करते हुए जिन्होंने अपने जीवन में असफलताओं का सामना किया था। उन्होंने सीखा कि सफलता उन लोगों के पास नहीं आती जो कभी असफल नहीं होते, बल्कि उन लोगों के पास आती है जो कभी हार नहीं मानते। और इस तरह, रमेश की असफलता से सफलता तक की यात्रा कई लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई।


प्रिय मित्रों,

रमेश और कुम्हार का चाक | Motivational Story In Hindi For Success कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता पाने के लिए असफलता का सामना करना और उससे सीखना कितना जरूरी है। हर असफलता हमें कुछ नया सिखाती है, और हर नए प्रयास के साथ हम और भी मजबूत बनते हैं। रमेश ने अपनी मेहनत और धैर्य से यह साबित कर दिया कि असफलताओं से हार मानने के बजाय, उनसे सीखकर आगे बढ़ना ही असली सफलता है।

तो अगली बार जब आप किसी असफलता का सामना करें, तो याद रखें कि यह अंत नहीं है, बल्कि एक नयी शुरूआत है। धैर्य और लगन के साथ, आप भी अपनी ज़िन्दगी को एक खूबसूरत कृति में बदल सकते हैं, ठीक जैसे रमेश ने किया। चलिए, हम सभी इस कहानी से प्रेरणा लेकर अपने सपनों की ओर एक और कदम बढ़ाते हैं।


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