बुराई की जड़ का अंत करें | Motivational Story In Hindi For Success

Lekhadda
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बुराई की जड़ का अंत करें 

Eliminate The Root of Evil


                              ( बुराई की जड़ का अंत करें | Motivational Story In Hindi For Success) कहानी में : एक बार मगध के महामंत्री चाणक्य  मगध के सम्राट चंद्रगुप्त से राजकाज से सम्बंधित परामर्श के लिए उनके महल में मिलने जा रहे थे। रास्ते में चलते हुए अभी उन्होंने  कुछ ही दूरी तय की थी की तभी अचानक से रास्ते में उनके पैर में कांटा चुभ गया, जिसकी वजह से उन्हें अत्यधिक पीड़ा हुई और दर्द के कारण उनके मुँह से चीख निकल गई।

                           उन्होंने शीघ्र ही नीचे झुककर पैर से कांटा निकाला और कुछ देर तक उस कांटे को ध्यान से देखते रहे,  फिर उन्होंने अपने शिष्यों से कुल्हाड़ी मंगवाई और उस कँटीले पौधे वाली जगह को खोद डाला और जमीन को खोदकर पौधे की जड़ को जमीन से पूरी तरह से बाहर निकालकर अलग कर दिया। 

                           पौधे को जमीन से अलग करने के उपरांत पौधे के ऊपरी भाग एवं जड़ दोनों को जला दिया।  उनके शिष्य चुपचाप यह सब देखते रहे।  शिष्यों को यह समझ नहीं आ रहा था की भला  इतना सब करने की क्या आवश्यकता  है?  क्यूंकि चाणक्य की नीति को चाणक्य से बेहतर भला और कौन समझ सकता था।   

बुराई की जड़ का अंत करें | Eliminate The Root of Evil



                             अब इससे पहले कि सभी अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ना शुरू करते उससे पहले महामंत्री चाणक्य ने अपने शिष्यों से छाछ मंगवाया और छाछ को उस पौधे के जड़ वाले स्थान पर डाल दिया, ताकि वह कटीला पौधा फिर से कभी पनप न सके। 

                             उन्हें यह सब देख करते देखकर उनके शिष्य हैरत में पड़ गए।  तभी वहां खड़े सभी शिष्यों में से एक शिष्य उत्शुकतावश बोला,  गुरुजी! आपने इतने तुच्छ कंटीले पौधे को निकालने के लिए इतनी मेहनत क्यों की और अपना कीमती समय क्यों बर्बाद किया?  यदि आप हमें आदेश देते तो हम इसे तुरंत जड़ से उखाड़कर फ़ेंक देते।  

                           शिष्य की बात सुनकर चाणक्य मुस्कुराए और बोले, यह सब मैंने तुम सभी को सीख देने के लिए किया है। इस कार्य के माध्यम से मैं तुम सभी को ये बताना चाहता हूं कि, जब तक बुराई को जड़ से खत्म न किया जाए, तब तक वह पूरी तरह से खत्म नहीं होती है और भविष्य में आए दिन हमेशा किसी न किसी को अपनी चपेट में ले लेती है।  

                          इसलिए हमें सिर्फ बुराई को दूर करने के लिए नहीं, बल्कि बुराई को जड़ से हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म करने के लिए सोचना चाहिए, ताकि वह फिर से आपकी जिंदगी में पनप न सके।  मतलब यदि आप अपनी  जिंदगी से सम्बंधित सभी बुराइयों को जड़ से ख़त्म कर देंगे तो आपका जीवन अपने आप सहज और शांतिपूर्ण हो जाएगा। चाणक्य की बात सभी शिष्यों को समझ में आ चुकी थी।  उन्होंने महामंत्री चाणक्य को प्रणाम किया और महामंत्री के साथ मगध के सम्राट से मिलने के लिए महल की तरफ चल दिए।  

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कहानी से सीख:-


                               (बुराई की जड़ का अंत करें | Motivational Story In Hindi For Success) कहानी से सीख-हम सभी जीवन में हमेशा कुछ न कुछ  समस्या हमेशा रहती है। इसका कारण सिर्फ हमारे जीवन से संबंधित बुराई का होन होता है।  हम सबको जरूरत है अपने अंदर के और अपनी जिंदगी से जुड़ी हर एक बुराई को जड़ खत्म करने की, तभी हम जीवन में असली सुख और शांति का मजा ले पाएंगे। 

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