Moral Story | जादुई कटोरा | Magical Bowl
यह Moral Story एक छोटे गांव के एक गरीब लड़के मोहन की है । मोहन और उसकी मां गांव के किनारे पर एक झोपड़ी में रहते थे। वो इतने गरीब थे की बहुत ही मुश्किल से वो दोनो अपने एक वक्त के खाने की जरूरत को पूरा कर पाते थे। बहुत कठिन परिश्रम करने के बाद भी दोनों को किसी -किसी दिन भरपेट भोजन भी नहीं मिलता था। उस दिन वो पानी पीकर ही अपना पेट भरते और सो जाते।
मोहन तो केवल यह चाहता था कि उसकी मां को कभी भी भूखा ना सोना पड़े इसके लिए वह दिन.रात मेहनत करता।
रोज सुबह जैसे ही सूरज निकलता वह खुले मैदान में जाकर घास काटता और फिर उस घास को इकट्ठा करके उसका एक गट्ठर बना लेता। उस घास के गट्ठर को वो बाजार में एक सेठ को बेच देता और उसे घास के गट्ठर के बदले में वह सेठ एक कटोरा चावल दे देता।
उस एक कटोरे चावल वह घर लेकर आ जाता जिसे उसकी मां पकाती और इस तरह से उनकी रोज के खाने की जरूरत किसी तरह से पूरी होती थी।
Motivational Story In Hindi ज्ञान का अहंकार
एक बार गांव में बहुत भयंकर सूखा पड़ा। कई महीनों तक बारिश नहीं हुई जिस कारण से घास के सभी मैदान सूखने लगे। गांव में सूखा पड़ने के कारण गया मोहन को अब बिल्कुल भी हरी घास नहीं मिल पा रही थी।
घास न मिलने के कारण अब मोहन और उसकी मां को प्रतिदिन ही भूखा रहना पड़ता था।
मोहन यह सब देखकर बहुत परेशान हो गया था एक दिन उसने सोचा कि वह अपने गांव को छोड़ कर गांव में पड़ने वाले पहाड़ की दूसरी तरफ जाएगा और वहां से घास लेकर अपने गांव आएगा।
यह सोचकर वह हरी घास ढूंढते हुए पहाड़ के दूसरी तरफ चला गया चलते-चलते आखिर कर उसे एक जगह ऐसी मिल ही गई जहां खूब सारी हरी घास थी। मोहन अब उस घास को देखकर बहुत खुश हुआ।
उसने अपनी खुरपी की मदद से उस घास को काटना शुरु कर दिया और घास काट कर वह उसका गट्ठर तैयार करने लगा तभी उसे जमीन में कोई चीज चमकती हुई नजर आई।
उसने तुरंत उस जमीन को खोदना शुरू किया और वह देखकर हैरान रह गया कि जमीन के अंदर से उसे चांदी का एक कटोरा मिला।
वह उस कटोरे को देखकर बहुत खुश हुआ और उसे लेकर सीधा सेठ के पास घास बेचने के लिए चल दिया।
सेठ ने इस बार भी उसे हर बार की तरह ही घास के बदले एक कटोरा चावल दिया।
जब वह घर पहुंचा तो उसने हमेशा की तरह चावल अपनी मां को पकाने के लिए दिए उसकी मां ने आज आधे ही चावल पकाए और आधे चावल मोहन को देते हुए बोली बेटा इसे रख दो अगर कल घास नहीं मिली तो ये चावल कल शाम को बना लेंगे।
मोहन ने आधे चावलों को उसी चांदी के कटोरे में रख दिया जो आज उसे खेत से मिला था।
अगले दिन वो फिर से उसी पहाड़ के दूसरी तरफ वाले घास के मैदान में घास काटने के लिए गया और उसने आज भी एक गट्ठर घास काट कर इकट्ठा किया और उसे सेठ के पास बेच आया। सेठ ने आज फिर से उसको उसकी घास के गट्ठर के बदले में एक कटोरा चावल दे दिया।
उन चावलों को लेकर वो अपनी झोपड़ी में आ गया जब उसने अपनी मां को वो चावल बनाने के लिए दिए तो उसकी मां ने उससे कहा मोहन कल वाले चावलों को ले आओ उनको आज पका लेती हूं।
मोहन कल के बचे आधे कटोरे चावल को लाने के लिए गया लेकिन तभी उसने देखा वो चांदी का कटोरा तो पूरा चावल से भरा हुआ है उसे बडा अचम्भा हुआ की उसने तो आधा कटोरा ही चावल रखे थे फिर ये पूरा कैसे भरा हुआ है।
उसकी कुछ समझ में नहीं आया उसने कटोरे को दोबारा आधा कर दिया इस बार भी कटोरा पिछली बार की तरह पुनः चावल से पूरा भर गया। अब मोहन को यह बात समझने में जरा भी देर नहीं लगी कि यह चांदी का कटोरा जादुई है।
मोहन ने उस कटोरे से ढेर सारे चावल इकट्ठा किया और गांव के सभी गरीब लोगों में उन चावलों को बांट दिया।
सभी गांव के लोग उन चावलों को पाकर बहुत खुश थे वो सभी लोग मोहन को अपना आशीर्वाद दे रहे थे। अब मोहन घास काटने नहीं जाता था वो घर पर ही रहकर अपने उस चांदी के जादुई कटोरे से रोज चावलों वो इकट्ठा करता और उन इकट्ठा किए गए चावलों को ले जाकर रोज गांव में बाट देता। बदले मे उसको गांव वालों का प्यार और आशीर्वाद मिलता जिससे वह बहुत खुश था।
यह सब देखकर सेठ बहुत चिढ़ता था क्योंकि गांव के लोगों ने अब सेठ से चावल खरीदना बंद कर दिया सेठ यह सोचने लगा की दाल में जरूर कुछ काला है यह इतना गरीब लड़का जो रोज मेरे से एक गट्ठर घास के बदले एक कटोरा चावल लेकर जाता था अचानक से इतना धनी कैसे हो गया कि पूरे गांव के लोगों को चावल बाटता फिर रहा है।
सेठ ने अपने मन में सोचा इस बात का पता तो हर हाल में लगाना पड़ेगा। सेठ ने फैसला किया कि इस बात का पता लगाने के लिए वह मोहन के घर में रात में छुप कर जाएगा और पता लगाएगा कि आखिर इसकी अमीरी का माजरा क्या है।
सेठ चुपचाप रात में मोहन के घर में घुस गया और उसके घर में समान ढूंढने लगा तभी उसे वह चांदी का कटोरा दिखाई दिया।
चांदी का कटोरा देखते ही सेठ लालच से भर गया और उसने वह चांदी का कटोरा चुरा लिया लेकिन वह जैसे ही घर से बाहर निकलने वाला था वह किसी चीज से टकराया और गिर गया।
उसके गिरने की आवाज सुनकर मोहन और उसकी मां जग गए और उन्हें या पता चल गया की किसी ने उनका चांदी का कटोरा चुरा लिया है।
मोहन ने सेठ को पीछे से दौड़ते हुऐ देखा और उसको पहचान लिया इससे पहले कि मोहन सेठ को पकड़ पाता वो भाग चुका था।
घर पहुंचते ही सेठ सोचने लगा हो ना हो इस चांदी के कटोरे में ही कोई खास बात है तभी तो वो गरीब मोहन रातों-रात इतना अमीर हो गया है।
सेठ ने चांदी के कटोरे को अपनी पत्नी को दिखाते हुए कहा कल सुबह मुझे इसी कटोरे मे खाना देना हो न हो इस कटोरे की वजह से ही वह इतना अमीर हुआ है।
सेठ की पत्नी ने उत्सुकता से पूछा कौन अमीर हुआ है?
सेठ ने मोहन के बारे में अपनी पत्नी को सब कुछ बता दिया कि कैसे वो उसको घास के एक गट्ठर के बदले मे मोहन को एक कटोरा चावल दिया करता था लेकिन अब मोहन खुद ही पूरे गांव वालों को चावल बाटता फिर रहा है।
यह सब सुनकर सेठ की पत्नी बोलीं मुझे भी ऐसा ही लगता है ये जरूर कोई जादूई कटोरा होगा वरना उस गरीब के पास चांदी का कटोरा कहां से आया आप ने बहुत अच्छा किया जो आप ये कटोरा ले आए अब इसकी मदद से हम और भी अमीर हो जायेंगे।
सेठ बोला हां हां जरूर चल अब सो जाते है इतना कह कर दोनों बिस्तर पर लेट गए पर नींद दोनो को ही नहीं आ रही थीं दोनों मन में ये ही विचार करने लगे कब सुबह होगी।
दोनों से बिल्कुल भी इन्तजार नहीं हो रहा था तभी सेठ की पत्नी उठ कर सेठ से बोली अभी ही खाना बना लूं क्या सेठ ने कहा नहीं अब तो बहुत देर हो गई है एक काम कर तू मुझे पानी पिला दे सेठानी ने यह सुनकर जल्दी से उस चांदी के कटोरे में पानी भरा और उसे सेठ को पीने के लिए दे दिया।
सेठ अपनी पत्नी से बोला हां ये भी सही है अभी इस कटोरे से पानी पी लेता हूं क्या पता पानी पीकर ही मैं जो बोलू वो चीज मेरे सामने उपस्थि हो जाए वैसे भी बड़े बूढों ने कहा है काल करे सो आज कर आज करे सो अब।
इतना कहकर सेठ ने कटोरे का पानी पी लिया लेकिन यह क्या पानी पीते ही सेठ के पेट में जलन होने लगी थोड़ी ही देर में जलन इतनी तेज हो गई कि सेठ को अब वह जलन उसकी बर्दास से बहर हो गई सेठ जलन दूर करने के लिए लगातार पानी पीता रहा लेकिन तब भी उसके पेट की जलन शांत नहीं हुई।
अब सेठ को अपनी भूल का एहसास हो गया वह समझ गया की लालच का नतीजा हमेशा बुरा ही होता है।
अब सेठ कटोरा लेकर मोहन की झोपड़ी की तरफ भागा और उसके पिछे पिछे उसकी पत्नी भी भागी।
मोहन की झोपड़ी में पहुंच कर सेठ ने मोहन से माफी मांगी और उसे उसका जादुई कटोरा भी वापस कर दिया।
Moral Story से सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपना जीवन नैतिकता और ईमानदारी से जीना चाहिए हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमेशा मेहनत और दूसरों के साथ सही व्यवहार करना चाहिए तभी हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
Note: The story shared here is not my original creation, I have read and heard it many times in my life and I am only presenting its Hindi version to you through my own words.
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