कंजूस और सोने की ईंट | The Miser And The Gold Brick | Hindi Story

Lekhadda
0

कंजूस और सोने की ईंट | The Miser And The Gold Brick

                    

                      कंजूस और सोने की ईंट | The Miser And The Gold Brick: एक समय की बात है। एक बहुत धनी व्यक्ति था, जो बहुत ही कंजूस और मक्खीचूस था।  रुपयों-पैसों में उसकी जान बसती थी। सोना तो उसके लिए भगवान जैसा ही था। इतना धनी होने के बाद उसके जीवन में कोई भी सुख नहीं था। वह हमेशा अपने धन और सोने के भण्डार को बढ़ाने के बारे में सोचकर चिंतित रहता। एक दिन उसने मन में सोचा “मेरे पास सोने की एक ईंट होनी चाहिए”उसे लगता था कि सोने की ईंट दुनिया की सबसे सुंदर वस्तु है, सोना प्रसन्नता और सुख का साक्षात् मापदंड है।

कंजूस और सोने की ईंट | The Miser And The Gold Brick | Hindi Story


कंजूस और सोने की ईंट | The Miser And The Gold Brick | Hindi Story
कंजूस और सोने की ईंट  The Miser And The Gold Brick 


यह सोचकर वह चाँदी के अपने सारे सिक्के लेकर सुनार के पास पहुँच गया और उसने चांदी के सिक्कों के बदले में  एक सोने की ईंट खरीद ली। सोने की ईंट लेकर वह घर वापस आ गया। घर आकर उसे अब सोने की ईंट की सुरक्षा की चिंता सताने लगी।  उसने सोचा सोने की ईंट को अगर किसी सुरक्षित जगह पर नहीं रखा गया तो सोने की ईंट कहीं चोरी ना हो जाए। 


सोने की ईंट को चोरी होने से बचाने के लिए उसे एक उपाय सूझा, “उसने सोचा सोने की ईंट को छुपाने की उपयुक्त जगह मेरा बगीचा है, किसी को पता नहीं चलेगा की बगीचे में कोई सोने की ईंट छुपी है”। वह तुरंत बगीचे में गया, उसने बगीचे में  तुरंत एक गड्ढा खोदा और सोने की ईंट को उसमें सावधानी से दबाकर मिट्टी बराबर कर दी, ताकि किसी को कोई शक न हो। 


अब वह प्रतिदिन गड्ढा खोदकर ईंट निकालता, खुश होकर उसे निहारता रहता और फिर गड्ढे में दबा देता।


एक रात एक चोर चोरी करके लोगों से छिपते हुए कंजूस के बगीचे में जा घुसा। उसने कंजूस को गड्ढे से ईंट निकालते हुए और दुबारा गड्ढे में दबाते हुए देख लिया।


यह सब देखकर चोर खुशी से जैसे पागल हो गया। जब कंजूस ईंट दबाकर वहां से चला गया तो चोर ने मिट्टी खोदकर सोने की ईंट को बाहर निकाला और उसे लेकर चलता बना।

कंजूस और सोने की ईंट | The Miser And The Gold Brick | Hindi Story


दूसरे दिन जब कंजूस बगीचे में आया तो उसने मिट्टी खुदी हुई देखी तो वह भागकर वहाँ पर पहुंचा लेकिन ईंट को गड्ढे से नदारद देख कर उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी, वह चीख उठा और रोने-बिलखने लगा।


“हाय-हाय मेरी सोने की ईंट,  हाय मैं लुट गया” । उसका रोना-बिलखना सुनकर एक पड़ोसी उसके पास दौड़कर आया और पूछने लगा, “अरे भाई, क्यों रो रहे हो?”


कंजूस धनी ने अपनी सारी आपबीती सुनाई।


उसकी बात सुनकर पड़ोसी बोला,“अब तुम उस सोने की ईंट की जगह पर लोहे की ईंट दबा दो और कल्पना करो कि वही सोने की ईंट है। रोज निकालकर उसे देखो और पुन: दबा दो, क्यूंकि तुम उस सोने की ईंट का उपयोग तो करते नहीं थे तो क्या फर्क पड़ता है ईंट सोने की है या लोहे की? ”। तुम इतने धनी हो उसके बाद भी तुम सदैव गरीब बनकर रहते थे। अपनी कंजूसी के कारण तुमने अपना सारा जीवन गरीबी में व्यतीत कर दिया,  ऐसे धन का क्या लाभ जिसका तुम उपयोग ना कर सको। इस प्रकार का धन व्यर्थ है जो किसी भी काम न आ सके। तुमने उस सोने की ईंट का उपयोग नहीं किया और अब वह ईंट चोर के काम आएगी।   

कंजूस और सोने की ईंट (The Miser And The Gold Brick) कहानी से सीख: 

            धन का सदुपयोग करना चाहिए। कंजूस धनी ने न तो धन को अपने ऊपर खर्च किया और न ही दूसरों पर। अंततः उसका धन व्यर्थ हो गया और उसे पछताना पड़ा। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top