तेनालीराम की कहानी: लालची ब्राह्मण | The Greedy Brahman's Story Tenali Raman Stories
तेनालीराम की कहानी लालची ब्राह्मण: राजा कृष्णदेव राय की माता बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। वे अक्सर ही दान-धर्म के काम किया करती थी। एक दिन उन्होंने राजा कृष्णदेव राय से कहा की वे फल दान करना चाहती हैं। तब राजा कृष्णदेव राय ने उनके लिए रत्नागिरि से आम मंगवाये।
“परन्तु जिस दिन वे आम दान करने वाली थी, उससे कुछ दिन पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गयी और उनकी अंतिम इच्छा अधूरी रह गयी।”“अब राजा कृष्णदेव राय को यह चिंता सताने लगी की उनकी माता के देहांत के समय उनकी फल दान की इच्छा अधूरी रह गयी है, इस कारण पता नहीं उनकी आत्मा को मुक्ति मिलेगी भी या नहीं।”
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जब उनके अंतिम संस्कार के सारे कार्य पूर्ण हो गए तो राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर अपनी माता के अंतिम इच्छा शेष रहने के बारे में बताया और उनसे पूछा की “ब्राह्मण देव मेरी माता की अंत समय में फल दान की इच्छा पूरी नहीं हो पायी तो ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए जिससे मेरी माता स्वर्ग लोक में शांतिपूर्वक रह सके।”
तेनालीराम की कहानी: लालची ब्राह्मण | The Greedy Brahman's Story Tenali Raman Stories
राजा कृष्णदेव राय ने जिन ब्राह्मणों से यह बात पूछी वे बहुत ही लालची थे। राजा कृष्णदेव राय की बात सुनकर लालची ब्राह्मणों को अपनी जेबें भरने का सुनहरा मौका मिल गया। उन्होंने कहा, “महाराज, यदि आप अपनी माता की आत्मा की शांति चाहते हैं, तो उसके लिए आपको सोने से बने आम का दान करना चाहिए।” “सोने से बने आम दान करके आप अपनी माता की फल दान की अन्तिम इच्छा को पूर्ण कर सकते हैं।”
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“यह सुनकर राजा ने तुरंत सोने से बने हुए आम ब्राह्मणों को दान करने का आदेश दिया।” तेनाली राम को जब लालची ब्राह्मणों की इस कूटनीति का पता चला तो उन्होंने ब्राह्मणों को सबक सिखाने के लिए योजना बनाई। तेनाली ब्राह्मणों के पास पहुंचे और “अपनी माता की आत्मा की शांति के लिए उन्हें अपने घर पर आमंत्रित किया।”
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“अगले दिन जब ब्राह्मण तेनाली के घर पर पहुंचे तब तेनाली ने घर के सारे खिड़की-दरवाजे बंद कर दिए, और खुद लोहे की सलाखें गर्म करने लगे।” यह सब देखकर ब्राह्मण आश्चर्यचकित हो गए और तेनाली से बोले “यजमान आप यह क्या कर रहें हैं? क्या आप हमें भोजन और दान-दक्षिणा नहीं देंगे।”
“इस पर तेनाली बोले पंडित जी जब मेरी माता की मृत्यु हुई तब मेरी माँ के घुटनों में बहुत दर्द रहता था और वे चाहती थी की मैं इन गर्म सलाखों से उनके घुटनों की सिकाई करूँ, परन्तु मेरे सिकाई करने से पहले ही वे चल बसी। अब उनकी इस अंतिम इच्छा की पूर्ती के लिए मैं आप ब्राह्मणों के घुटनों की सिकाई करूंगा ताकि मेरी मां को घुटनों के दर्द में आराम मिल सके।”
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तेनाली की यह बात सुनकर सभी ब्राह्मण डर गए और बोले “यजमान यह तो पाप है ऐसा करने से हमारे घुटने जल जायेंगे।” जब ब्राह्मणों ने इनकार किया, तो तेनाली ने कहा, “यदि आप लोगों के द्वारा सोने के आम लेने से राजा कृष्णदेव राय की मां की आत्मा को शांति मिल सकती है, तो आप लोगों के घुटनों पर गरम सलाखों से सेंकाई करने पर मेरी माँ के घुटनों को आराम भी तो होगा।”
“तब ब्राह्मणों को अपनी भूल का अहसास हो गया और उन्हें यह समझ आ गया की उन्होंने राजा से सोने के आम दान में लेकर ठीक नहीं किया। अगले दिन वे राजा के दरबार में पहुंचे और ब्राह्मणों ने दान में लिए हुए सोने के आम राजा को वापस कर दिये और उन्होंने अपने लालच के लिए राजा से माफी मांगी।” राजा ने सारी सच्चाई जानकर उन्हें माफ कर दिया।
तेनाली ने राजा से यह आग्रह किया कि “वो ऐसे लालची लोगों के बहकावे में आकर राजकोष का धन व्यर्थ ना करें। बल्कि अपना धन किसी ज़रूरतमंदों और राज्य की भलाई के कार्यों में खर्च करें।”
तेनालीराम की कहानी: लालची ब्राह्मण (The Greedy Brahman's Story Tenali Raman Stories) कहानी से सीख :
“इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की व्यक्ति को कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। लालची व्यक्ति अपनी जेब भरने के लिए दूसरों की भजनाओं और भलाई को नजरअंदाज कर देता है। इस कहानी से यह भी सीख मिलती है की हमें कोई भी कार्य सोच-विचारकर समझदारी से करना चाहिए अन्यथा लोग ऐसे ही बेवकूफ बनाएंगे।”
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