ज्ञान का अहंकार | Motivational Story In Hindi | Arrogance of Knowledge |
| Motivational Stories In Hindi |
Motivational Story In Hindi में आपको एक ऐसे युवक की कहानी मिलेगी जिसको अपनी धनुर्विद्या का अहंकार हो गया था और खुद को सर्वश्रेष्ठ मानने लगा था।
Motivational Story In Hindi
एक नौजवान बहुत सी तीरंदाजी प्रतियोगिताएँ जीतने के बाद खुद को सबसे बड़ा धनुर्धर समझने लगा था ।
उसे यह अहंकार हो गया था कि इस दुनिया में मुझसे बड़ा धनुर्धर कोई भी नहीं है। इसीलिए वह जहाँ भी जाता लोगों को उससे मुकाबला करने की चुनौती देता और उन्हें हरा कर उनका मज़ाक उड़ाता।
एक बार उसने एक प्रसिद्द ज़ेन मास्टर को चुनौती देने का फैसला किया और सुबह-सुबह पहाड़ों के बीच स्थित ज़ेन मास्टर के मठ में जा पहुंचा।
और बोला मास्टर मैं आपको तीरंदाजी मुकाबले के लिए चुनौती देता हूँ।
मास्टर ने युवक की चुनौती स्वीकार कर ली। अब दोनों के बीच तीरंदाजी का मुकाबला शुरू हुआ।
युवक ने अपने पहले प्रयास में ही दूर रखे लक्ष्य के ठीक बीचो-बीच निशाना लगा दिया और अगले निशाने में उसने लक्ष्य पर लगे पहले तीर को ही भेद डाला।
अपनी योग्यता पर घमंड करते हुए वह युवक बोला कहिये मास्टर क्या आप इससे भी बेहतर करके दिखा सकते हैं, यदि हाँ तो कर के दिखाइए। और यदि नहीं कर सकते तो अपनी हार स्वीकार कर लीजिये।
जैन मास्टर यह सुनकर मुस्कुराये और बोले पुत्र मेरे पीछे आओ।
युवक मास्टर के पीछे-पीछे चल दिया।
मास्टर चलते-चलते एक खतरनाक खाई के पास पहुँच गए । युवक यह सब देखकर घबरा गया और बोला मास्टर ये आप मुझे कहाँ लेकर जा रहे हैं।
मास्टर बोले घबराओ मत हम लगभग पहुँच ही गए हैं अब बस हमें इस पुल के बीचो-बीच जाना है।
युवक ने देखा की दो पहाड़ियों को जोड़ने के लिए लकड़ी के एक कामचलाऊ पुल का निर्माण किया गया था वह पुल बिल्कुल जर्जर हो चुका था और किसी भी पल टूट कर गिर सकता था। मास्टर उसी पुल पर जाने के लिए कह रहे थे।
मास्टर पुल के बीचो -बीच जाकर पुल पर खडे़ हो गये और अपनी कमान से तीर निकालकर दूर एक पेड़ के तने पर सटीक निशाना लगाया । निशाना लगाने के बाद मास्टर बोले आओ पुत्र अब तुम भी उसी पेड़ पर निशाना लगा कर अपनी दक्षता सिद्ध करो।
युवक यह सब देखकर बिल्कुल डर गया और डरते .डरते आगे बढ़ने लगा। धीरे-धीरे चलकर वह पुल के बीचों-बीच पहुंचा और किसी तरह कमान से तीर निकाल कर निशाना लगाया पर निशाना लक्ष्य के आस-पास भी नहीं लगा।
युवक निराश हो गया और उसने अपनी हार स्वीकार कर ली।
तब मास्टर बोले पुत्र तुमने तीर-धनुष तो चलाना सीख लिया है परन्तु तुम्हारा उस मन पर अभी नियंत्रण नहीं है जो किसी भी परिस्थिति में लक्ष्य को भेदने के लिए बहुत ही आवश्यक है।
इस बात को हमेशा ध्यान में रखो कि जब तक मनुष्य के अंदर सीखने की जिज्ञासा है तब तक उसके ज्ञान में वृद्धि होती है लेकिन जब उसके अंदर सर्वश्रेष्ठ होने का अहंकार आ जाता है तभी से उसका पतन प्रारम्भ हो जाता है।
युवक मास्टर की बात समझ चुका था। उसे एहसास हो गया कि उसका धनुर्विद्या का ज्ञान बस अनुकूल परिस्थितियों में कारगर है उसे अभी और भी बहुत कुछ सीखना बाकी है उसने तुरन्त अपने अहंकार के लिए मास्टर से क्षमा मांगी और हमेशा एक शिष्य की तरह सीखने और अपने ज्ञान पर घमंड न करने की सौगंध ली।
Motivational Story In Hindi से सीख:-
Motivational Story In Hindi कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि कभी भी अपने ज्ञान का अहंकार कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी एक खासियत होती है जिसमे दूसरा व्यक्ति ज्ञानहीन हो सकता है इसीलिए सभी का सम्मान व आदर करना हमारा कर्तव्य है।
Note: The story shared here is not my original creation, I have read and heard it many times in my life and I am only presenting its Hindi version to you through my own words.
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