Motivational Story In Hindi | बुद्धिमान नाई
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका एक और मजेदार व प्रेरणादायक कहानी में!
यह Motivational Story In Hindi एक बुद्धिमान नाई की है जिसने अपनी बुद्धि के बल पर राक्षस से जीत हासिल की और उसका सारा धन भी ले लिया।
एक समय की बात है, भानु नाम का एक नाई था। उसका घर गांव के आखरी में नदी के किनारे बना हुआ था। उसके घर को जाने वाला रास्ता घने जंगल से होकर गुजरता था। जिसकी वजह से भानु अकसर उजाले में ही अपने घर की ओर आता-जाता था। वह हमेशा यही कोशिश करता था की अपना काम निपटा कर वह अंधेरा होने से पहले ही अपने घर पहुंच सके जिससे कि वह जंगल में पड़ने खतरों से बच सके। उसने बड़े-बूढों से सुना था कि उस जंगल में राक्षसों का एक परिवार भी रहता है वो राक्षस अक्सर दिन ढलने के बाद उस जंगल से गुजरने वाले लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं।
एक बार गुरु पूर्णिमा के दिन भानु को काम ज्यादा होने की वजह से गांव से अपने घर लौटने में शाम हो गई उस दिन उसके पास इतना ज्यादा काम था कि उसको समय का पता ही न चला। भानु सोचने लगा कि आज तो शायद अंधेरे में ही घर पहुंचेगा लेकिन उसको इस बात की तसल्ली भी थी कि पूर्णिमा होने की वजह से उसको चांद का उजाला तो मिल ही जायेगा। यही सोच कर भानु अपने घर की ओर चल दिया वैसे तो भानु एक बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति था किन्तु आज वह उस राक्षस के बारे में सोच कर डर रहा था और साथ ही साथ यह भी सोच रहा था कि यदि राक्षस मिल गया तो वो उससे कैसे बचेगा। इन्ही मन में चलने वाले विचारों के साथ वो जंगल में पहुंच गया और मन ही मन प्रार्थना करने लगा कि आज वो किसी तरह उस राक्षस से बच जाय या फिर राक्षस से उसका सामना न हो।
जब भानु जंगल के बीचों-बीच पहुंचा तो वही हुआ जिसका उसे डर था। एक राक्षस उसके सामने से उसी की ओर आता हुआ दिखाई दिया। भानु ने सोचा कि अब तो उसके प्राण नहीं बचेंगे, "आज तो वह उस राक्षस का भोजन बन कर ही रहेगा, निश्चय ही राक्षस आज उसे खा जाएगा।"
भानु डर की वजह से कांपने लगा उसका पूरा शरीर पसीना-पसीना हो गया। अचानक उसके मन में विचार आया कि आज इस राक्षस के हाथों उसका मरना तो तय ही है, क्यों न खुद को बचाने के लिए कोई उपाय कर के देखा जाए कम से कम मरते समय ये अफसोस तो नहीं रहेगा की खुद को बचाने के लिए कुछ किया ही नहीं वैसे भी बल से तो मैं इस राक्षस से जीत नही सकता लेकिन फिर भी मैं अपनी बुद्धि का उपयोग करके देख लेता हूं, शायद बच जाऊ जो होगा देखा जायेगा। इसी विचार के साथ भानु राक्षस के पास आते ही जोर जोर से हंसने लगा और साथ ही साथ उसने ताली बजा-बजाकर नाचना भी शुरू कर दिया।
राक्षस को यह सब देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। वह बोला- ‘अरे ओ मूर्ख मनुष्य! तू इतना खुश क्यों हो रहा है? क्या तुझे नहीं मालूम कि मैं कुछ ही देर में तुझे मारकर खा डालूंगा और अपनी भूख शान्त करूंगा।‘
भानु और भी जोर जोर से हंसते हुए कहा - "अरे मूर्ख! मूर्ख मैं नहीं , मूर्ख तो तू है," मैं तो हर पूर्णिमा को राक्षस के शिकार के लिए ही जंगल में आता हूं, शायद तू ये बात नही जानता कि मै कोई सामान्य आदमी नहीं हूं, मैं बहुत बडा जादूगर हूं मैं अपने मंत्रों की शक्ति से राक्षस पकड़ कर उसको अपना गुलाम बना लेता हूं, और फिर उसकी आखरी सांस तक उसे नहीं छोड़ता उससे मैं अपना सारा काम करवाता हूं।
भानु पुनः बोला आज तो मेरी किस्मत खुल गई। भानु ने अपने झोले की तरफ इशारा करते हुए कहा मैं मेरे इस झोले में एक राक्षस को तो पहले से ही बन्द कर चुका था किंतु अब जब तुम भी मिल गए हो तो एक से भले दो है।
वैसे भी मुझे एक और राक्षस तो चाहिए ही था, क्यूंकि मेरे एक मित्र को भी अपने काम के लिए एक तुम्हारे जैसा ही हट्टा-कट्टा राक्षस चाहिए था मैं उसी की खोज जंगल में आया था अब जब तुम खुद ही मेरे पास चलकर आ गए हो, तो मुझे बहुत ज्यादा खुशी हो रही है। अब मैं तुमको बेचकर अपने मित्र से तुम्हारे बदले बहुत सा धन लूंगा'।
भानु की बात सुनकर राक्षस के मन मे भी कुछ डर उत्पन्न हुआ। लेकिन फिर भी उसे भानु की बात का विश्वास नहीं हुआ और उसने भानु से कहा- "मुझे तो नहीं लगता की तुमने अपने इस झोले में किसी राक्षस को कैद कर रखा है अगर सच में तुमने किसी राक्षस को कैद किया है तो पहले मुझे दिखाओ।"
"अगर तुम मुझे उस राक्षस को नहीं दिखाओगेे तो मैं तुम्हें मारकर खा लूंगा।"
भानु ने कहा - 'ठीक है, मैं तुझे अभी उसे दिखाता हूं लेकिन उसे दिखाने से पहले मैे तुझे बांध तो लू कहीं तू भाग गया तो मेरा बडा नुकसान हो जायेगा इतना कह कर भानु ने अपने झोले से एक रस्सी निकाली और उस राक्षस को एक पेड़ से बांध दिया। भानु ये बात अच्छे से जानता था कि इस रस्सी से राक्षस का कुछ नही होगा ये राक्षस आराम से इस रस्सी को तोड़ देगा और हो सकता है डर कर भाग भी जाए उसने मन ही मन सोचा अगर डर कर भाग गया तो मेरे लिए तो अच्छा ही है मेरी जान तो बच ही जायेगी।
किन्तु राक्षस नही भागा भानु ने अब अपने झोले से अपना आईना बाहर निकाला जिसे वह अपने बाल काटने के सामान के साथ रखता था, और उस आईने को राक्षस को दिखाया राक्षस को उस आईने में उसका का ही प्रतिबिम्ब दिखाई दिया।
अब तो राक्षस को विश्वास हो गया कि भानु की झोली में सचमुच एक राक्षस पहले से ही कैद है।
अब वह राक्षस बहुत ज्यादा डर गया और सोचने लगा की भानु से अपनी जान कैसे बचाई जाए। उसने भानु से कहा कि अगर वो उसको छोड़ देगा तो वह उसे बहुत सा धन लाकर देगा।
भानु ने भी सोचा ये तो बहुत अच्छा है आज तो मुझे धन भी मिल जायेगा और मेरी जान भी बच जायेगी।
भानु ने उस राक्षस को खोल दिया, रस्सी खुलते ही राक्षस सर पर पैर रखकर वहा से भागा और सीधा अपने परिवार वालों के पास जा पहुंचा। वहां पहुंच कर वो अपना सारा धन इकठ्ठा करने लगा,उसको ऐसा करते देख उसके परिवार ने उससे पूछा कि वो इतना डरा हुआ क्यूं है और क्यूं अपने धन को इस तरह से इकट्ठा कर रहा है।
उसके साथ जो भी घटना घटी थी वो उसने अपने परिवार को जल्दी-जल्दी बता दी उसकी बात सुनकर सभी राक्षस उस पर हंसने लगे और उसका मजाक उड़ाने लगे।
जब ये पूरी घटना राक्षस की पत्नी ने सुनी तो उसे अपने मूर्ख पति पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया। वह बोली - 'तुम बहुत बड़े कायर हो, भला कभी कोई आदमी भी राक्षस को कैद कर सकता है क्या? मेरे साथ चलो, मैं उस आदमी को मजा चखाती हूं, "मैं उस को मारकर खा जाऊँगी।"
"राक्षस की पत्नी अपने पति को छोड़कर जंगल की तरफ भानु को ढूंढने के लिए निकल पड़ी।"
इधर भानु भी राक्षस के भागते ही खुद भी अपनी जान बचाकर भागा पर हड़बड़ाहट कि वजह से भानु अपने घर की तरफ भागने के बदले जंगल के भीतर की तरफ ही दौड़ गया काफी देर दौड़ने के बाद उसे ये अहसास हुआ कि वह गलत दिशा में आ गया है। तभी वह रुका और चारों तरफ़ देखने लगा पर रात होने और घबराहट की वजह से वह सही रास्ता नहीं ढूंढ़ पा रहा था।
तभी उसको किसी के आने की आहट सुनाई दी, "उसने सोचा लगता है फिर से वो किसी मुसीबत में फँस गया है, हो न हो ये जरूर कोई राक्षस ही होगा।"
भानु ने सोचा कि अब उसे चुप चाप यहीं-कहीं छुप जाना चाहिए और सुबह होने का इंतज़ार करना चाहिए अभी भानु छुपने की जगह ढूंढ़ ही रहा था कि उसके सामने एक आदमी आ गया उसको सामने देख कर भानु बहुत खुश हुआ और वह उससे बात करने लगा।
भानु उस आदमी को अपने साथ हुई राक्षस वाली घटना बता ही रहा था कि तभी उस राक्षस की पत्नी वहाँ आ पहुंची। जब उस आदमी ने राक्षसी को अपनी ओर आते देखा तो डर के मारे उसकी हालत पतली हो गई।
वह आदमी अपना सामान फेंक कर पास के एक बड़े से पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन भानु को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था इसलिए वह चुप-चाप पेड़ के पीछे झाड़ी में छिप कर बैठ गया।
अपनी पत्नी के पीछे-पीछे उसका राक्षस पति भी उसी जगह आ पहुंचा वह अपनी पत्नी से बोला चलो जल्दी से भगा चलें यहां से पहले तो ये जादूगर अकेला ही था अब तो इसका साथी भी इसके साथ है। दोनों मिलकर कहीं हम दोनों को ही न कैद कर लें। अगर इन्होंने हम दोनों को कैद कर लिया तो हमारे बच्चों का क्या होगा ये सोचा है तुमने। राक्षसी पुनः अपने राक्षस पति से बोली तुम चुप चाप खड़े रहो तुम कायर हो मैं नहीं आज तो मैं इन दोनों का ही शिकार करुंगी उस राक्षसी ने अभी अपनी बात समाप्त भी नही की थी कि उसके बच्चे भी उसी जगह पहुंच गए जहा पर वो दोनो राक्षस राक्षसी थे।अब वह राक्षस बहुत ज्यादा घबरा गया और राक्षसी पर जोर जोर से चिल्लाने लगा अरे पागल आज तो तेरी वजह से हमारा पूरा का पूरा परिवार ही खतरे में आ गया है।अब वो दोनों जादूगर मिलकर हम सभी को कैद कर लेंगे फिर करती रहना अपनी आखरी सांस तक उसकी गुलामी।
यह सभी बातें भानु भी सुन रहा था वह फिर से योजना बनाने लगा कि कैसे खुद को बचाया जाए।
राक्षसी पुनः बोली मैं नहीं डरती इन लोगों से, वह अपने बच्चों से बोली तुम लोग इस पेड़ को चारों ओर से घेर लो, ताकि ये दोनों जादुगर भाग न सकें।
मैं पेड़ के नज़दीक जा रही हूं।' इतना कह कर राक्षसी पेड़ की तरफ बढ़ने लगी।‘ भानु और वह आदमी दोनों ही अपनी-अपनी जान की खैर मनाने लगे।
तभी अचानक पेड़ पर चढ़े हुए आदमी को एक मधुमक्खी ने डंक मार दिया जिसकी वजह से उसे बहुत ज्यादा दर्द हुआ। जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा आदमी दर्द से तिलमिलाया उसके हाथ से टहनी छूट गई और वह पत्तों और टहनियों से रगड़ खाता हुआ धड़ाम से नीचे राक्षसी के ऊपर आ गिरा।
जब भानु ने उसे पेड़ से गिरते हुए देखा तो वह बहुत जोर से चिल्लाया, इस राक्षसी को छोड़ना मत पकड़े रखना मैं अभी अपने झोले से राक्षस कैद करने वाला सामान निकालता हूं तब तक तुम मंत्र पढ़ते रहो।
अब तो वह राक्षसी भी बुरी तरह डर गई और उन दोनों को अपने छोटे छोटे बच्चों का वास्ता देने लगीं। लेकिन भानु ने उसके इस डर का फ़ायदा उठाया और वह जोर जोर से चिल्लाने लगा आज तो पूरा का पूरा परिवार ही एक साथ हाथ लगा है अब तो तुम सभी के सभी को अच्छी कीमत पर बेचूँगा।
राक्षस यह सब सुनकर भानु के पास आया और बोला हमारे पास बहुत सा धन है। वह सारा धन हमने उन लोगों से इक्ट्ठा किया है जिनको हमने अभी तक मारकर खाया है।मैं तुमको वो सारा धन लाकर देता हूं बस तुम मुझे और मेरे परिवार को छोड़ दो, वैसे भी तुमको हमें बेचकर भी धन ही प्राप्त करना है।
बात तो तुम्हारी सही है पर तुमको धन देने के साथ ही इस जंगल को भी छोड़ कर जाना होगा अगर मंज़ूर है तो बताओ, वरना मैं सबसे पहले तुम्हारी पत्नी को कैद करूंगा उसके बाद तुम सभी को, राक्षस और उसकी पत्नी दोनों एक साथ बोले हां हमें मंज़ूर है बस तुम हम सभी की जान बक्श दो। भानु बोला ठीक है जल्दी धन लाकर दो इससे पहले कि मैं अपना इरादा बदल दूं।
राक्षस जल्दी से भाग कर गया और उसके द्वारा इक्ट्ठा किया गया सारा धन लेकर भानु के पास आ गया, उसने भानु को वो धन दिया। धन मिलते ही भानु ने उस आदमी से कहा छोड़ दो उसे ऐसा सुनते ही वह राक्षसी के ऊपर से हट गया।
उस आदमी के हटते ही राक्षस का पूरा परिवार वहा से भागा और फिर कभी भी उस जंगल में नहीं आया। अब वह जंगल राक्षस विहीन हो गया था।
भानु ने उस राक्षस द्वारा दिए गए धन मे से थोड़ा धन उस आदमी को भी दिया और दोनों धन लेकर अपने अपने घर को वापस चल दिए।
Motivational Story In Hindi से सीख
इस कहानी का सार यह है कि हमें कठिन से कठिन परिस्थितियों में कभी हार नहीं माननी चाहिए हमेशा हिम्मत और बुद्धिमानी से समस्याओं का हल निकालना चाहिए। भानु ने राक्षस से डरकर हार नहीं मानी और हिम्मत से समस्या का सामना किया। उसकी वीरता और बुद्धिमत्ता ने उसे राक्षस से बचाया भी और तो और वह मालामाल भी हो गया। हमें भी अपने जीवन में यही गुण अपनाने चाहिए, ताकि हम भी समस्याओं का समाधान निकाल सकें।
Note: The story shared here is not my original creation, I have read and heard it many times in my life and I am only presenting its Hindi version to you through my own words.
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