हाथी और पांच अंधे | Moral Story In Hindi

Lekhadda
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 हाथी और पांच अंधे | Moral Story In Hindi

           


          बहुत समय पहले की बात है, एक गावं में पांच अंधे आदमी रहते थे। एक दिन गाँव वालों ने उन्हें बताया, “आज गाँव में हाथी आने वाला है।"

हाथी और पांच अंधे | Moral Story In Hindi


क्यूंकि वो पांचों आदमी अंधे थे तो उन्होंने आज तक बस हाथियों के बारे में केवल लोगों से सुना ही था पर कभी भी उन्हे हाथी को छू कर महसूस करने का मौका नहीं मिला था।


इसी लिए उन पांचों आदमियों ने आपस में बात की, “भले ही हम सब उस हाथी को देख नहीं सकते, तो क्या हुआ।

पर हम सब उसे छु कर महसूस तो कर ही सकते हैं क्यूं न चलकर हाथी को छुए और महसूस करें कि वो कैसा दिखता है"।

और फिर क्या था वो सब उस जगह की ओर चल दिए जहाँ हाथी आने वाला था।

जैसे ही हाथी आया गाँव वालों ने उनसे कहा हाथी आ गया है तुम लोग आ जाओ और उसे छू कर देख लो।

उन पांचों ने हाथी को छूना शुरू किया।


इतने में पहला आदमी बोला अरे ये हाथी तो एक खम्भे की तरह होता है क्योंकि उसने हाथी के पैर को छू कर उसे महसूस किया था।


“अरे नहीं भाई, हाथी तो एक मोटी रस्सी की तरह होता है।" दूसरे आदमी ने हाथी की पूँछ को पकड़ते हुए कहा।


तभी तीसरा आदमी बोला क्यूं झूठ बोलते हो भाई “मैं सच बताता हूँ, ये हाथी तो किसी पेड़ के तने की तरह होता है बस यह कठोर नही है," उस तीसरे आदमी ने हाथी की सूंढ़ को पकड़ते हुए कहा।


इतने में चौथा आदमी बोल पड़ा “तुम लोग ये कैसी बात कर रहे हो, ये हाथी तो एक बड़े हाथ पंखे की तरह होता है," उस चौथे आदमी ने हाथी के कान को छूते हुए बाकी सभी को हाथी के बारे मे बताया।


अभी चौथा आदमी अपनी बात पूरी भी नही कर सका था कि पांचवां आदमी बोल पड़ा बन्द करो तुम सब अपनी अपनी बकवास मैं तुम सबको सच बताता हूं, ये जो हाथी है ये तो बिल्कुल एक दीवार की तरह होता है। पांचवे आदमी ने हाथी को ऐसा इसलिए बताया क्यूंकि उसने हाथी के पेट पर हाथ रखा हुआ था।


इस तरह से हाथी का अलग अलग विवरण देने के बाद वो पांचों आदमी आपस में बहस करने लगे और खुद को सही साबित करने में लग गए।


अब उनकी बहस इतनी तेज हो गयी कि उनको देखकर गाँव वालों को ऐसा लगने लगा मानो वो पांचों आपस में लड़ पड़ेंगे। उनको आपस में लड़ता देख आस पास के लोगों ने भीड़ लगा ली।


तभी उस भीड़ से एक बुद्धिमान आदमी आगे आया।

उसने उन पांचों को शांत किया और पूछा, “आप सब आपस में इतनी लड़ाई क्यों कर रहे हो?"


वो पांचों एक साथ बोले “हम यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि आखिर ये हाथी दिखता कैसा है।"


वो बुद्धिमान आदमी बोला तुम सभी एक एक करके अपनी अपनी बात मुझे बताओ फिर क्या था उन पांचों ने बारी बारी से उस आदमी को अपनी बात बताई।


बुद्धिमान आदमी ने उन पांचों की बात शांति से सुनी और बोला “तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो। तुम्हारे वर्णन में अंतर केवल इसलिए है क्योंकि तुम सभी ने हाथी के अलग-अलग भाग छुए हैं।"


“तुम लोगों ने हाथी के बारे मे जो कुछ भी बताया वो सब हाथी के वर्णन के लिए सही बैठता है।"


“ओह अच्छा !! ऐसा है क्या" उन पांचों ने एक साथ उस आदमी को उत्तर दिया। उसके बाद उन पांचों का विवाद समाप्त हो गया और वो पांचों खुश भी हुए कि वो सभी एक दूसरे से सच कह रहे थे।


Moral Story In Hindi की सीख: 

कई बार हमारे साथ भी ऐसा ही होता है कि हम अपनी बात को लेकर अड़ जाते हैं। हमें लगता है कि हम ही सही हैं और बाकी सब गलत हैं। 

लेकिन यह भी हो सकता है कि हमें सिक्के का एक ही पहलु दिख रहा हो और उसके आलावा भी कुछ ऐसे तथ्य हों जो सही हों, इसलिए हमें अपनी बात रखने के साथ-साथ दूसरों की बात भी सुननी चाहिए।


Note: The story shared here is not my original creation, I have read and heard it many times in my life and I am only presenting its Hindi version to you through my own words.


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